प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Tuesday, August 23, 2011
जो उम्मीद है ...
हर निराशा के बाद
मुझको लगा
तुमको लगा
सबसे बड़ी है ये
फिर भी नहीं टूटा
नहीं टूटे कभी तुम
शायद
टूटती ये भी नहीं
जो उम्मीद है
मुझसे बड़ी
तुमसे बड़ी ...
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