प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Wednesday, November 20, 2019
सपने ज़िन्दा रहें
लेकिन नींद में नहीं
हमारे जागते रहने पर
फिर प्रतीक्षातुर हमारी तरह ही
खुल जाएंगे
वो दरवाजे भी
जिनके पार है
संभावनाओं का अपार उजास...
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