मैंने कहा -
क्या मेरे दुःख का अंत है ?
उसने पूछा -
क्या सुख का अंत चाहते हो ?
मैंने कहा -
नही
सुख पाना चाहता हूँ
उसने कहा -
तो दुःख के लिए तैयार रहो
तुम्हारा चाहना ही दुःख है
बाकी हर क्षण सुख है .
Friday, November 14, 2008
Saturday, November 8, 2008
फ़िर से आई याद .....
बहुत दिनों के बाद
तुम्हारी फ़िर से आई याद
मचल उठा जी मिलने को
पर हार गई है आस
हार गई है आस
कहाँ से लाऊं फ़िर विश्वास
मूक धरा आकाश चराचर
मिटे कहाँ से प्यास
मिटे कहाँ से प्यास
मेरा मन हैं बहुत उदास
कि तुम नही हमारे पास
अब टूट रही है आस
बहुत दिनों के बाद
तुम्हारी फ़िर से आई याद .......
तुम्हारी फ़िर से आई याद
मचल उठा जी मिलने को
पर हार गई है आस
हार गई है आस
कहाँ से लाऊं फ़िर विश्वास
मूक धरा आकाश चराचर
मिटे कहाँ से प्यास
मिटे कहाँ से प्यास
मेरा मन हैं बहुत उदास
कि तुम नही हमारे पास
अब टूट रही है आस
बहुत दिनों के बाद
तुम्हारी फ़िर से आई याद .......
Saturday, November 1, 2008
दोस्ती निभती नही
सच कहा -
मुझसे दोस्ती निभती नही
निभे भी कैसे ?
तुम्हारे सतत आघात को
मैं सह नही पाता
अपनी पीड़ा को हँसकर
छुपा नही पाता
आत्मीयता के विस्तार में
सीमा रेखाएं ख्नीच नही पाता
दोस्ती के फासले जान नही पाता
अपनी परम अभिव्यक्ति रोक नही पाता
दोस्ती निभे भी कैसे
जब मेरी विनम्रता
तुम्हारे अहम् की पोषक बन जाए
तुम्हारी हँसी
मेरे हृदय पर कटाक्ष कर जाए
मेरा प्यार
तुम्हारे गर्व का हास बन जाए
दोस्ती निभे भी कैसे
जब मैं झूठ तुमसे कह नही पाता
तुम्हारा पतन सह नही पाता
वह जाल जिसमें आदमी फंसते हैं
बुन नही पाता .
मुझसे दोस्ती निभती नही
निभे भी कैसे ?
तुम्हारे सतत आघात को
मैं सह नही पाता
अपनी पीड़ा को हँसकर
छुपा नही पाता
आत्मीयता के विस्तार में
सीमा रेखाएं ख्नीच नही पाता
दोस्ती के फासले जान नही पाता
अपनी परम अभिव्यक्ति रोक नही पाता
दोस्ती निभे भी कैसे
जब मेरी विनम्रता
तुम्हारे अहम् की पोषक बन जाए
तुम्हारी हँसी
मेरे हृदय पर कटाक्ष कर जाए
मेरा प्यार
तुम्हारे गर्व का हास बन जाए
दोस्ती निभे भी कैसे
जब मैं झूठ तुमसे कह नही पाता
तुम्हारा पतन सह नही पाता
वह जाल जिसमें आदमी फंसते हैं
बुन नही पाता .
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