बहुत दिनों के बाद
तुम्हारी फ़िर से आई याद
मचल उठा जी मिलने को
पर हार गई है आस
हार गई है आस
कहाँ से लाऊं फ़िर विश्वास
मूक धरा आकाश चराचर
मिटे कहाँ से प्यास
मिटे कहाँ से प्यास
मेरा मन हैं बहुत उदास
कि तुम नही हमारे पास
अब टूट रही है आस
बहुत दिनों के बाद
तुम्हारी फ़िर से आई याद .......
1 comment:
मूक धरा आकाश चराचर
मिटे कहाँ से प्यास
bahot khub wah umda lekhan padhane ko mila ..dhero badhai aapko swikaren
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