प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Friday, November 14, 2008
हर क्षण सुख है
मैंने कहा -
क्या मेरे दुःख का अंत है ?
उसने पूछा -
क्या सुख का अंत चाहते हो ?
मैंने कहा -
नही
सुख पाना चाहता हूँ
उसने कहा -
तो दुःख के लिए तैयार रहो
तुम्हारा चाहना ही दुःख है
बाकी हर क्षण सुख है .
2 comments:
abhivyakti
said...
bahut achcha.
-jaya
November 28, 2008 at 2:15 AM
Ranjana
said...
dukh me sukh ko dudna koi tum se sikhe. ranjana
December 14, 2008 at 6:19 AM
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2 comments:
bahut achcha.
-jaya
dukh me sukh ko dudna koi tum se sikhe. ranjana
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