Sunday, February 11, 2018

अब देखने के लिए
आँखों की ज़रुरत नहीं
मतलब से दिखती है
हर वो चीज़
जो हम देखना चाहते हैं
पसरे हुए सन्नाटे में
चीख़ भी गुम हो जाती है जब
हमारे कान सिर्फ
मतलब की बात सुनते हैं
मैंने भी सुना है कि
लोग मतलबी हो गए हैं
क्योंकि ऐसा सुनने से
मुझे लगता है
मैं नहीं शामिल हूँ
उन तमाम मतलबी लोगों में
और कहने वाला खुश है
क्योंकि उसने मतलब के लिए ठहराया
लोगों को मतलबी

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