अब देखने के लिए
आँखों की ज़रुरत नहीं
मतलब से दिखती है
हर वो चीज़
जो हम देखना चाहते हैं
पसरे हुए सन्नाटे में
चीख़ भी गुम हो जाती है जब
हमारे कान सिर्फ
मतलब की बात सुनते हैं
मैंने भी सुना है कि
लोग मतलबी हो गए हैं
क्योंकि ऐसा सुनने से
मुझे लगता है
मैं नहीं शामिल हूँ
उन तमाम मतलबी लोगों में
और कहने वाला खुश है
क्योंकि उसने मतलब के लिए ठहराया
लोगों को मतलबी
आँखों की ज़रुरत नहीं
मतलब से दिखती है
हर वो चीज़
जो हम देखना चाहते हैं
पसरे हुए सन्नाटे में
चीख़ भी गुम हो जाती है जब
हमारे कान सिर्फ
मतलब की बात सुनते हैं
मैंने भी सुना है कि
लोग मतलबी हो गए हैं
क्योंकि ऐसा सुनने से
मुझे लगता है
मैं नहीं शामिल हूँ
उन तमाम मतलबी लोगों में
और कहने वाला खुश है
क्योंकि उसने मतलब के लिए ठहराया
लोगों को मतलबी
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