एक कहानी अपनी भी है
कभी याद आये तो कहना
हमें कहाँ भूला है अब भी
कागज की कश्ती का बहना
यादों की झुरमुट से उड़कर
छत पे बैठी सोन-चिरैया
फूलों की क्यारी से अब भी
देख रहे तितली का उड़ना
सपने हैं जब तक आँखों में
सबसे हँसकर मिलना-जुलना
एक कहानी अपनी भी है
कभी याद आये तो कहना..
कभी याद आये तो कहना
हमें कहाँ भूला है अब भी
कागज की कश्ती का बहना
यादों की झुरमुट से उड़कर
छत पे बैठी सोन-चिरैया
फूलों की क्यारी से अब भी
देख रहे तितली का उड़ना
सपने हैं जब तक आँखों में
सबसे हँसकर मिलना-जुलना
एक कहानी अपनी भी है
कभी याद आये तो कहना..
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