मुझे लगा था अभी कहोगी
कथा बहुत से सपनों की
किसे ख़बर थी रोक न पायेगी
ममता भी अपनों की
तुम चल दोगी छोड़ अकेला
संबंधों को रिक्त किए
सूनी आँखें,बेबस मंज़र
खामोश खड़े हैं दर्द लिए.
कथा बहुत से सपनों की
किसे ख़बर थी रोक न पायेगी
ममता भी अपनों की
तुम चल दोगी छोड़ अकेला
संबंधों को रिक्त किए
सूनी आँखें,बेबस मंज़र
खामोश खड़े हैं दर्द लिए.
No comments:
Post a Comment