प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Saturday, August 9, 2008
तुम्हारे आघात सहकर
तुम्हारे आघात सहकर
आंसू गिर नही पाये
शिलाओं पर उकेरे चित्र
जो यह कह नही पाये
कि-
वह शिल्पी नही था
जिसने मुझे निर्मित किया
मैं अभिव्यक्ति हूँ
इस शिला की
जिसने मुझे पैदा किया
तुम्हारे आघात सहकर .
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