प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Tuesday, June 17, 2008
लहरें
जब मैं चुप था
सागर तट पर
लहरें हँसकर मुझसे बोलीं
कर्म हमारे सभी अकारथ
उठती गिरती
चलती रहतीं .
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment