Tuesday, June 24, 2008

भवितव्यता

उसने
मौसमों की बातें करनी छोड़ दी
क्योंकि -
वो बदल जाते हैं
उसने
लोगों की बातें करनी छोड़ दी
क्योंकि -
वो बदल जाते हैं
अब वो खामोश रहता है
देखते हुए -
सागर की लहरों को
आती-जाती बहारों को
खिलते हुए फूलों को
गाते हुए भौरों को
अब उसे लगता है
चर्चाएँ बेकार है
सब कुछ कह चुकने के बाद भी
बहुत कुछ रह जाता है
जिसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है
समय की धारा में रहकर
अस्तित्व की भवितव्यता को जानकर .

1 comment:

abhivyakti said...

RAHUL TUM BAHUT ACHCHA LIKHTE HO YO HI LIKHTE RAHO.