सारी साहित्यिक विधाएं
जीवन का लेखा हैं
जिसमें-
सब कुछ लिखने के उपरांत भी
बहुत कुछ छूटा है
और तब तक छूटा रहेगा
जब तक संसार है ..........
नही समझे ?
तीन आदमी भटक गए थे
नदी की धारा देखते हुए
सागर तट पर पहुँच गए थे
कुछ खोजते हुए
उनमें से एक -
तट पर बैठ कर
लहरें गिनता रहा
रचनाएँ करता रहा
जीवन छोटा था लहरें अनंत
एक दिन मर गया
तट की शिलाओं पर
उसका नाम लिखा रह गया
दूसरा -
सागर में कूद पड़ा
और डूब गया
ऊपर तैरती हुयी
लाश की बंद मुट्ठी में
मोती था
जो दूसरों के लिए मूल्यवान
पर उसके लिए निरर्थक था
हाँ ! वो दार्शनिक था
तीसरे ने-
आगे का मार्ग खोजा
नौका बनाई
और सागर को पार कर गया
दूर क्षितिज पर जाकर
आकाश बन गया
वह मुक्त था
कुछ ने कहा -
वह भक्त था
कुछ ने कहा -
वह संत था
और मैंने कहा -
वह अनंत था
समय की सीमाओं से दूर
जिसे आज भी देखता हूँ
-सागर में
-मोती में
-आकाश में
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