Wednesday, April 2, 2008

जागते रहो

जब कहीं कोई
भावना मर रही होती है
तब उसे अभिव्यक्ति देने के लिए
मेरी भावना जग रही होती है
कि जैसे -
चाँद की पूर्णता पर
ज्वार उठता है
और कहीं कोई दूर
रात के सन्नाटे में
आवाज देता है
-जागते रहो
-जागते रहो

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