प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Wednesday, April 9, 2008
तनहाई
मेरा सृजन तुम्हारे बिना
रुका हुआ है
कि जैसे
सूखी धरती में
कोई बीज बिना बारिश के
दबा हुआ है
बीज के साथ
सूखी धरती है
जो उसे प्यार करती है
मेरे साथ मेरी तनहाई है
जो मुझे प्यार करती है .
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