प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Sunday, April 13, 2008
आत्मीय
मेरा दुःख
तुम्हारी आँखों का आँसू
जाने क्यों बन गया
मैं तो सिर्फ़
एक परिचित था
तुम्हारा आत्मीय
कब से बन गया
इसकी ख़बर
न मुझे थी
न तुम्हे है
लेकिन ये सच है -
सहजता के आँसू
एकांत में भी बहते हैं
जो दिल के करीब होते हैं
वही आत्मीय होते हैं
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