प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Thursday, April 17, 2008
समय
दुःख
चाहे सबको मांजे या न मांजे
समय
सबको मांजता है
और दे आघात
जीवन आंकता है .
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