प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Friday, April 4, 2008
अर्थवत्ता
शब्दों कि अर्थवत्ता
तब खोयी नही थी
जब कहा था -
प्यार है तुमसे मुझे
हाँ ! खो गयी
जब अनसुना सा कर दिया
जिस तरह
हर बात वो
सिर्फ़ जिसको
-लिख दिया
-पढ़ लिया
-और कह दिया
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