प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Friday, April 4, 2008
अतीत कि ओर
आज तुम भी चले गए
अपनी स्मृति
मेरे पास छोड़कर
उन तमाम मित्रों की तरह
जिन्हें मैं अब भी
याद करता हूँ
उस खंडहर की भाँति
जिसके बचे हुए भग्न - भाग
दर्शनीय होते हुए भी
ले जाते हैं -
अतीत की ओर
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