प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Wednesday, April 9, 2008
डायरी के दो पन्ने
मेरी डायरी के दो पन्ने
अब डायरी में नही हैं
उसी तरह
जैसे कुछ प्यारे सपने
जो आँखों में थे
अब नही हैं
डायरी के दो पन्ने
और मेरे सपने
दोनों ही बह चुके हैं
समय की धारा में
लेकिन .....
मैं बंदी हूँ अब तक
स्मृतियों की कारा में .
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