Monday, March 17, 2008

अपनी बात

तुम्हारा ही स्मरण करके
लिख पता हूँ
वो जो जीवन की भाषा है
मेरे लिए एक उम्मीद एक आशा है
पतझर के बाद का मौसम
वो जो हमारा है तुम्हारा है
तमन्नाएँ पूरी कर देने वाला
एक टूटता सितारा है
सिर्फ इसलिए की -
हमारी संवेदनाओं में प्रतिबिम्बित
एक चेहरा तुम्हारा है..........

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