Thursday, March 20, 2008

कनेर का फूल

कनेर का पीला फूल
है आज भी मेरी
पुरानी डायरी के पन्नों में दबा
नही है इसमें - सुगंध ,रूप-रंग
जो उस समय था
जब मुस्कुराकर शरमाते हुए
तुमने दिया था
मगर है आज भी इसमें
वही आकर्षण
जो डायरी के खुल जाने पर
मुझे बरबस खीच लेता है
तुम्हारी स्मृति की ओर
है कौन सा जादू ?
नही हूँ जनता इसमें छिपा
कनेर का पीला फूल
है आज भी मेरी
पुरानी डायरी के पन्नों में दबा .

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