प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Saturday, March 29, 2008
बारिश के बाद
भीगा मौसम
ढलती शाम
सर्द हवा चलती दिल थाम
सब कुछ है अब धुला-धुला
मौसम भी है खुला-खुला
कितना खुश हूँ
देख सभी को
भीगे पंछी ,भीगे पेड़
और दौड़ते बच्चों के
जाने- पहचाने ये खेल
खिले हुए हैं - केना ,पलास
गुलमोहर और अमलतास
देते हैं मुझको अनंत हास .
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