मेरा स्वरचित क्या है बोलो ?
सब कुछ मिला मुझे है
एक संयोग
मुझे बनाता
अनगढ़ से कुछ रचकर
मूर्ति नही
जीवंत कला का द्योतक
कवि
कविता को व्यक्त नही करता
कविता
कवि को व्यक्त किया करती है
जो जीवन है
जो यौवन है
जन्म - मृत्यु जिसकी क्रीड़ा है
वह एक तत्त्व
दीप्तिमान हो
कान्तिमान हो
उर की मात्र यही पीड़ा है
वाणी की वीणा कहती है
मेरे उर की पीड़ा कहती है
मेरा स्वरचित क्या है बोलो ?
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