Monday, March 17, 2008

अनुभूति की खुशबू

लो -
ये मेरे अनुभूति के क्षण हैं
जिन्हें मैंने
शब्दों में बांधने का
असफल प्रयास किया है
शायद.....
तुम मेरी असफलता पर ही
खुश हो सको
जैसे की मैं खुश हूँ
अपनी आंखों से ढलके
दो आंसू की बूंदों को छूकर
अपनी सांसों को
तुम्हारे प्यार की खुशबू से भरकर .........

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