प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Monday, March 17, 2008
शायद
तब
प्यार हो सकता था
जब
उसे पता था
लेकिन शायद
तब
प्यार नही हो सकता था
जब
मुझे ये पता था
और इस होने न होने के बीच
कुछ ऐसा था
जो न मुझे पता था
न उसे पता था .
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