प्रसंग-पारिजात(काव्य संग्रह) और कुछ अन्य कविताएँ
Monday, March 24, 2008
मनोकामिनी
वर्षों बाद......
तुम्हे देखा है
खिलकर सुगंध फैलाते
और
चमकते तारों से
ये फूल तुम्हारे
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