तुम्हारे प्रेम का एक स्वर
मेरे कंठ को तृप्ति दे गया
तुम्हारे प्रेम का एक हास
मेरे रुदन को सुवासित कर गया
तुम्हारे प्रेम का एक स्मरण
मेरी कल्पना को पंख दे गया
तुम्हारे प्रेम का एक बिछोह
मुझे अनंत मिलन की तृषा दे गया
तुम्हारे प्रेम का एक बन्धन
मुझे समस्त बंधनों से मुक्त कर गया !
No comments:
Post a Comment