Monday, March 17, 2008

तुम्हारा प्रेम

तुम्हारे प्रेम का एक स्वर
मेरे कंठ को तृप्ति दे गया
तुम्हारे प्रेम का एक हास
मेरे रुदन को सुवासित कर गया
तुम्हारे प्रेम का एक स्मरण
मेरी कल्पना को पंख दे गया
तुम्हारे प्रेम का एक बिछोह
मुझे अनंत मिलन की तृषा दे गया
तुम्हारे प्रेम का एक बन्धन
मुझे समस्त बंधनों से मुक्त कर गया !

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